IVF (In Vitro Fertilization) या कृत्रिम निषेचन एक ऐसा उपाय है, जो उन दंपतियों के लिए आशा बनता है जिन्हें प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण में कठिनाई होती है। IVF की सफलता में अंडाशय उत्तेजना (Ovarian Stimulation) एक बेहद महत्वपूर्ण चरण है। यह प्रक्रिया महिलाओं के अंडाशयों को अधिक अंडाणु (eggs) विकसित करने के लिए प्रेरित करती है, जिससे IVF के परिणाम बेहतर होते हैं।
IVF में अंडाशय उत्तेजना क्या है?
अंडाशय उत्तेजना वह प्रक्रिया है जिसमें महिलाओं के अंडाशयों को हार्मोनल इंजेक्शन के माध्यम से उत्तेजित किया जाता है ताकि एक ही चक्र में कई अंडाणु तैयार हो सकें।
मुख्य उद्देश्य:
- अधिक अंडाणु प्राप्त करना
- IVF के दौरान सफल निषेचन की संभावना बढ़ाना
- भ्रूण (embryo) विकल्पों की संख्या बढ़ाना
प्रमुख हार्मोन और दवाएं
अंडाशय उत्तेजना के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित दवाओं का उपयोग होता है:
- FSH (Follicle Stimulating Hormone) – अंडाणु की वृद्धि को बढ़ाता है
- LH (Luteinizing Hormone) – अंडाणु परिपक्वता में मदद करता है
- GnRH agonists और antagonists – अंडाशय के प्राकृतिक चक्र को नियंत्रित करते हैं
- hCG (Human Chorionic Gonadotropin) – अंडाणु के परिपक्व होने पर ओव्यूलेशन को ट्रिगर करता है
IVF में अंडाशय उत्तेजना की प्रक्रिया
IVF में अंडाशय उत्तेजना लगभग 10–14 दिन की होती है। इसे चरणबद्ध तरीके से समझा जा सकता है:
-
शुरुआत से पहले जांच
- ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड द्वारा अंडाशय की स्थिति देखी जाती है
- बेसलाइन स्वास्थ्य और हार्मोन स्तर की जांच
-
हार्मोन इंजेक्शन का सेवन
- निर्धारित खुराक के अनुसार FSH और LH इंजेक्शन लिए जाते हैं
- डॉक्टर द्वारा नियमित रूप से फॉलिकल मॉनिटरिंग की जाती है
-
फॉलिकल मॉनिटरिंग (Follicle Monitoring)
- अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट से अंडाणु की संख्या और विकास को देखा जाता है
- ज़रूरत पड़ने पर दवा की मात्रा एडजस्ट की जाती है
-
ओव्यूलेशन ट्रिगर (Trigger Shot)
- अंडाणु के परिपक्व होने पर hCG या अन्य ट्रिगर इंजेक्शन दिया जाता है
- 34–36 घंटे बाद अंडाणु निष्कर्षण (Egg Retrieval) किया जाता है
अंडाशय उत्तेजना के फायदे
- IVF की सफलता दर बढ़ती है
- अधिक अंडाणु मिलने से भ्रूण चयन में मदद मिलती है
- एक चक्र में अधिक अंडाणु प्राप्त होने पर खर्च और समय बचता है
संभावित जोखिम और सावधानियाँ
हालांकि यह प्रक्रिया सुरक्षित है, लेकिन कुछ जोखिम भी होते हैं:
- OHSS (Ovarian Hyperstimulation Syndrome) – अंडाशय अत्यधिक उत्तेजित होने पर सूजन
- पेट में दर्द और सूजन
- हॉर्मोनल असंतुलन
- बहुत दुर्लभ मामलों में ब्लड क्लॉट या अन्य जटिलताएँ
सावधानियाँ:
- डॉक्टर की निगरानी में ही दवा लें
- निर्धारित खुराक से अधिक इंजेक्शन न करें
- किसी भी असामान्य लक्षण पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें
IVF में अंडाशय उत्तेजना के लिए टिप्स
- स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ
- सही समय पर दवाएं लें
- नियमित फॉलिकल मॉनिटरिंग कराएँ
- तनाव कम करें और पर्याप्त नींद लें
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
-
IVF में अंडाशय उत्तेजना कितने दिन चलती है?
अधिकतर 10–14 दिन तक, लेकिन व्यक्तिगत स्थिति के अनुसार भिन्न हो सकती है।
-
क्या अंडाशय उत्तेजना दर्दनाक होती है?
इंजेक्शन सामान्यत: दर्द रहित होते हैं, लेकिन हल्का दर्द या सूजन हो सकती है।
-
अंडाणु कितने प्राप्त हो सकते हैं?
महिलाओं की उम्र और अंडाशय स्वास्थ्य पर निर्भर करता है; आमतौर पर 8–15 अंडाणु एक चक्र में प्राप्त हो सकते हैं।
-
क्या अंडाशय उत्तेजना सुरक्षित है?
यदि डॉक्टर की निगरानी में ली जाए तो सुरक्षित है, लेकिन OHSS जैसे कुछ जोखिम हो सकते हैं।
-
उम्र का क्या प्रभाव है?
25–35 वर्ष की उम्र में अंडाशय उत्तेजना और IVF की सफलता अधिक होती है; 35 वर्ष के बाद अंडाणु की गुणवत्ता घट सकती है।
निष्कर्ष
IVF में अंडाशय उत्तेजना वह महत्वपूर्ण चरण है जिसमें दवाओं की मदद से अंडाशयों को अधिक अंडाणु बनाने के लिए उत्तेजित किया जाता है। इससे IVF की सफलता दर बढ़ती है और स्वस्थ भ्रूण बनने की संभावना अधिक होती हैसही दवाओं, नियमित मॉनिटरिंग और विशेषज्ञ की देखरेख से यह प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी होती है।
यदि आप IVF की इस प्रक्रिया की योजना बना रहे हैं, तो डॉ. अनु्ष्का मदान से परामर्श लेकर व्यक्तिगत उपचार योजना अवश्य बनवाएँ।